Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -20-Feb-2023 त्योहारों की शोभा

प्रभाकर विदेश में भारतीय दूतावास का कर्मचारी था। वह 15 वर्ष के बाद अपने देश और अपने गांव जाने वाला था। इतने वर्षों में विदेश में उसके बहुत से मित्र बन गए थे। उसकी अभिलाषा थी, कि अपने विदेशी मित्रों और उनके परिवार के सदस्यों को दिखाने की की भारत में सभी धर्मों के लोग एक दूसरे के त्यौहार कैसे मिलजुल कर प्यार मोहब्बत और खुशी से मनाते हैं। 


इसलिए वह अपने दो खास मित्रों और उनकी पत्नियों को अपने गांव की होली दिखाने अपने साथ भारत लेकर आ लाता है। प्रभाकर की पत्नी सुजाता भी खुश थी कि अब मेरे पति की अभिलाषा पूरी होने वाली है। प्रभाकर अपने विदेशी मित्रों के साथ भारत आने के बाद एयरपोर्ट से एक प्राइवेट गाड़ी अपने गांव तक छोड़ने के लिए किराए पर बुक कर लेता करता है।

 और गाड़ी में बैठने के बाद अपने बचपन की होली का एक किस्सा विदेशी मित्रों और उनकी पत्नियों को सुनाता है कि "जब मैं 12 वर्ष का था तो विद्यालय की छुट्टी होने के बाद अपने सबसे पक्के तीन मित्रों के साथ आम अमरूद के बाग में आम अमरूद तोड़ने जाता था। उस बाग में एक माल्टे का पेड़ भी था। मुझे आम अमरूद से ज्यादा माल्टा खाना पसंद था। उस दिन मेरे माल्टा खाने के लालच की वजह से हम चारों दोस्त पकड़े गए थे। और उस बाग के मालिक ने हम चारों मित्रों के घरों में शिकायत कर दी थी। उस दिन हम चारों दोस्तों को घर वालों ने रात का खाना भी नहीं दिया था। और पूरे एक सप्ताह तक डांट फटकार हमें सुननी पड़ी थी। 

इसलिए हम चारों मित्रों ने होली की आग में उस बाग के मालिक की चारपाई और लाठी जला दी थी। और हम चारों मित्रों को हमारे घर वालों ने सजा दी थी कि इस बार हम होली नहीं खेलेंगे। होली ना खेलने देने की वजह से मैंने पूरे एक महीने बाबू जी से बात नहीं की थी। और अगली होली आने पर बाबूजी ने होली से दस दिन पहले ही मुझे पिचकारी गुलाल होली के रंग लाकर दे दिए थे।"
 
फिर प्रभाकर इस किस्से के बाद होली का दूसरा किस्सा विदेशी दोस्तों को सुनाता है कि "हमारे गांव की होली आसपास के गांव की होलियों से सबसे ज्यादा बड़ी होती थी। हम चारों मित्र और गांव के कुछ लोग जंगल से सूखी लकड़ी काटकर होली में डालते थे। और जलने वाली होली से पहले पूरे गांव से चंदा इकट्ठा करके लकड़ी की टाल से सुखी लकड़ी खरीद कर भी डालते थे। जिस दिन जलने वाली होली होती थी, तो हम चारों मित्र होली के पास चारपाई लगाकर ढोलक लेकर होली के गीत चारपाई पर बैठकर गाते थे। और जब महिलाएं बच्चे होली की पूजा करने आते थे, तो हम उनकी पूजा का सामान या किसी और चीज की उनको जरूरत होती थी तो पूरी मदद करते थे। और शाम को होली जलने से पहले होली में सूखे कंडे जरूर डालते थे। 

होली पर गांव मे सबके घर गुजिया पकोड़े पापड़ चटपटी नमकीन आदि चीजें और भी पकवान बनता था। अगर किसी के घर पैसों की दिक्कत की वजह से पकवान नहीं बनता था, तो गांव का कोई ना कोई व्यक्ति उसकी पैसे देकर मदद कर देता था।

 और रंग वाली होली के दिन मैं और मेरे  तीनों मित्र गांव के कुछ लोगों के साथ होली की मंडली बनाकर होली के गाने गाते हुए गांव मे घर घर जाकर होली खेलते थे। और अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेते थे।"

 रास्ते में ढाबा देखकर प्रभाकर ड्राइवर को दोपहर का खाना खाने के लिए रुकने के लिए कहता है। ढाबे के पास एक बहुत बड़ा होली का सामान बेचने का बाजार लगा हुआ था। सबके साथ खाना खाने के बाद प्रभाकर अपने विदेशी दोस्तों से कहता है कि "थोड़ा सा पहले होली का बाजार घूम लेते हैं।" अपने और विदेशी मित्रो के लिए प्रभाकर होली के बाजार से रंग गुलाल पिचकारी खरीदता है। और होली पर खाने के लिए खोए की गुजिया की मिठाई चटपटी नमकीन पापड़ पकोड़े बनाने के लिए बेसन आदि सामान खरीदना है।

 उसके एक विदेशी मित्र की पत्नी कहती है कि "होली का बाजार घूम कर और तुम्हारे मुंह से होली के किस्से सुनकर भारत का रंगों से भरा त्योहार होली मनाने का उत्साह और बढ़ गया है।"

 प्रभाकर गांव के बाहर ही सबको गाड़ी से उतारकर उस मैदान से सबको लेकर जाता है। जहां गांव की होली रखी जाती थी। होली देखकर प्रभाकर चौक जात है वह होली की जगह साइकिल ट्रैक्टर के टायर सूखी सी थोड़ी सी झाड़ियां थोड़े से सूखे कंडे की होली रखी हुई थी। और होली के पास दो तीन जंगली कुत्ते बैठे हुए थे। एक भैंस का कटरा बंधा हुआ था। आज शाम को होली जलनी थी। और किसी ने होली की पूजा भी नहीं कर रखी थी।

वह वहां से किसी को बिना बताए जल्दी से अपने विदेशी मित्रों को अपने घर ले जाता है। घर पर प्रभाकर के माता-पिता भाई और बहन प्रभाकर के विदेशी मित्रों का बहुत स्वागत करते हैं। प्रभाकर उनको अपने घर छोड़कर अपने बचपन के मित्रों से मिलने और उन्हें विदेशी मित्रों के साथ होली खेलने के लिए निमंत्रण देने चला जाता है। 

वह पहले दोस्त के घर जाता है तो उसे वहां उसकी पत्नी से पता चलता है कि भाई के साथ जमीन जायदाद के बंटवारे के झगड़े की आज कोर्ट में तारीख है।वह वहां गया हुआ है।

 फिर वह दूसरे दोस्त के घर जाता है वहां उसे पता चलता है कि ज्यादा शराब और दूसरे नशे करने से उसकी मृत्यु हो गई है। 

उसके बाद फिर दुखी और निराश होकर तीसरे मित्र के घर जाता है। तो वह रास्ते में ही मिल जाता है। उसका तीसरा दोस्त गरीबी बेरोजगारी चिंता और भुखमरी से जवानी में ही 70 वर्ष का बूढ़ा हो गया था। 

दूसरे दिन रंग वाली होली पर अपने विदेशी मित्रों और उनकी पत्नियों के साथ गांव में होली खेलने जाता है। तो गांव की कुछ महिलाएं बच्चे उसके विदेशी दोस्तों की पत्नियों के साथ कीचड़ से होली खेलती है। और विदेशी दोस्तों की पत्नियों को कीचड़ में लथपथ कर देती हैं। इतने में कुछ युवक मंडली बनाकर आते हैं, और प्रभाकर उसके विदेशी दोस्तों का काले रंग से मुंह काला कर देते हैं।

 शाम को अलग-अलग संप्रदाय के गुटों में झगड़ा हो जाता है। और झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि पूरे जिले में प्रशासन को कर्फ्यू  लगाना पड़ जाता है।

 प्रभाकर की भारत में त्योहारों कैसे मिलजुलकर मनाए जाते हैं। और त्योहारों की शोभा खुशियां विदेशी दोस्तों को दिखाने की अभिलाषा अधूरी रह जाती है।

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6 Comments

Babita patel

21-Feb-2023 03:02 PM

nice

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Mahendra Bhatt

21-Feb-2023 07:57 AM

Nice

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Abhinav ji

21-Feb-2023 07:56 AM

Very nice 👍👍

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